PROF. H. S. SRIVASTVA FOUNDATION FOR SCIENCE & SOCIETY

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Centre for Sustainable
Agriculture and Environment

OF PHSS FOUNDATION

Professor H.S. Srivastava Foundation has recently established its R&D centre in Lucknow which is dedicated to research, innovations and technology transfer for sustainable rural development and ecological restoration. The Foundation is planning to develop its resource centre for knowledge generation and its dissemination in its identified fields. It is to organize training programs for entrepreneurship of the rural youth and for success of ecological/natural agriculture. The centre is collaborating with other likeminded organisations through MoU,s and collaborative projects. For example, it is providing beneficial bio-inoculants based on selected soil microbes to the farmers associated with a rural network of Icareindia, Lucknow


We are planning to establish a bio-lab for production of microbial inoculants suitable to application in different agro-climatic conditions for improving soil fertility and agricultural productivity with low external input. The Foundation is also planning to initiate projects on enhancing below ground and above ground bio-diversity based on microbial inputs and regeneration of endemic beneficial soil microbes as well as enhancing crop diversity and population of beneficial insects and flies. The new climate resilient and culturally adoptable food systems are required to fulfil the emerging nutritional, provisional and commercial needs of the people and the market. Increased below and above ground biodiversity in marginal and low fertility lands can provide multiple ecosystem services, economic benefits and can be a novel sink for carbon sequestration. The Foundation is planning to work on management of agro-waste, studies on factors responsible for lower crop productivity in the selected and a few aspirational districts of UP and improving its fertility status through biological management etc. It is planning to understand the gaps in knowledge on land use options of water-logged flood plains, site suitability classification for crop diversification, mapping of heavy metals and pesticides polluted sites in UP and restoration of degraded riverine ecosystems. The adaptation to frequent drought, floods, and disasters are major focus of the centre in term of studies, analysis and solution making.


Under the Centre for Sustainable Agriculture and Environment of the Foundation, we have started an intensive effort to include the adaptation of agricultural production system to climate change, the technologies available in agriculture and food industries inspired by the principles of green circular economy, and to connect the youth with scientific approach and methodology as well as with a professional culture. Have done Under this effort, we will study the social, economic, environmental, and cultural status of the people in the state.


The objectives of the Centre:

  1. Undertaking Scientific Research in the field of Environment and Agriculture.
  2. Development of Sustainable and Innovative technologies especially focused to rural India.
  3. The communication and deployment of knowledge and technologies in the field of sustainable agriculture, environmental management, and science for society.

Organizational Structure:

Human Resources in R & D Centre

Name

Designation

Professor Rana Pratap Singh* Director (Honorary)
Mr. Pawan Kumar Deputy Director (Honorary)
Prof. U.N. Dwivedi Distinguished Scientist (Honorary)
Prof. R. S. Dwivedi Distinguished Scientist (Honorary)
Prof H. B. Singh Distinguished Scientist (Honorary)
Prof. Jaswant Singh Distinguished Scientist (Honorary)
Dr. Madhu Bhardwaj Distinguished Scientist (Honorary)
Dr. S. K Prabhuji Distinguished Scientist (Honorary)
Professor Malvika Srivastava Distinguished Scientist (Honorary)
Mr. V.K. Tripathi Sr. Scientist cum Engineer (Honorary)

* Has accepted to join the assignment after superannuation from BBA University, Lucknow in February, 2024.


Other Staff with the Centre:

Name

Designation

Dr. Mohd. Suhail Khan Scientist
Dr. Vikas Mandal Research Associate
Mr. Krishnanand Singh Administrative Officer
Mr. Ashish Singh Program Manager

प्रोफेसर एच.एस. श्रीवास्तव फाउंडेशन ने हाल ही में लखनऊ में अपना अनुसंधान एवं विकास केंद्र स्थापित किया है, जो सतत ग्रामीण विकास और पारिस्थितिक बहाली के लिए अनुसंधान, नवाचार और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए समर्पित है। फाउंडेशन अपने चिन्हित क्षेत्रों में ज्ञान सृजन और इसके प्रसार के लिए अपने संसाधन केंद्र को विकसित करने की योजना बना रहा है। इसने ग्रामीण युवाओं की उद्यमिता और सफल पारिस्थितिक/प्राकृतिक कृषि के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना शुरू कर दिया है। केंद्र अन्य समान विचारधारा वाले संगठनों के साथ समझौता ज्ञापन, और सहयोगी परियोजनाओं के माध्यम से सहयोग की कार्ययोजना बना रहा है। उदाहरण के लिए, केंद्र ‘आइकेयरइंडिया’ लखनऊ के ग्रामीण नेटवर्क से जुड़े किसानों को चयनित मृदा जीवाणुओं पर आधारित लाभकारी जैव-इनोकुलेंट्स प्रदान कर रहा है।


भविष्य में हम मिट्टी की उर्वरता और कृषि उत्पादकता में सुधार के लिए विभिन्न कृषि-जलवायु परिस्थितिकियों में आवेदन के लिए उपयुक्त सूक्ष्मजीवी इनोकुलेंट्स के उत्पादन के लिए एक बायो-लैब स्थापित करने की योजना बना रहे हैं। फाउंडेशन माइक्रोबियल इनपुट और स्थानिक लाभकारी मृदा जीवाणुओं के पुनर्जनन के साथ-साथ लोगों और बाजार की उभरती पोषण, वस्तु संबंधित और व्यावसायिक जरूरतों के आधार पर जमीन के नीचे और जमीन के ऊपर जैव-विविधता बढ़ाने पर परियोजनाएं शुरू करने की योजना बना रहा है। सीमांत और निम्न-उर्वरता भूमि में जमीन के नीचे और ऊपर की जैव विविधता में वृद्धि, कई अन्य पारिस्थितिक तंत्र सेवाएं तथा आर्थिक लाभ प्रदान कर सकती है | इसके साथ इससे कार्बन स्रोत से परिवर्तित कार्बन स्थिरीकरण के लिए एक महत्वपूर्ण क्षेत्र विकसित हो सकता है। फाउंडेशन कृषि-अपशिष्ट के प्रबंधन पर काम करने की योजना बना रहा है| इसके अतिरिक्त संस्था उत्तर प्रदेश के आकांक्षी जिलों में कम फसल उत्पादकता के लिए जिम्मेदार कारकों पर अध्ययन और जैविक प्रबंधन आदि के माध्यम से इसकी उर्वरता की स्थिति में सुधार करने की योजना बना रही है। यह जल-जमाव और सूखे वाले क्षेत्रों मे भूमि उपयोग विकल्पों पर उपलब्ध ज्ञान के अंतराल को समझने और इसपर शोध करने की भी योजना बना रहा है। फसल विविधीकरण के लिए विभिन्न क्षेत्रों की उपयुक्तता वर्गीकरण तथा प्रदेश में भारी धातुओं और कीटनाशकों के प्रदूषित स्थलों का मानचित्रण और खराब नदी पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली आदि के लिए भी योजनायें बनाई जा रही हैं ।

हमने फाउंडेशन के इस केंद्र के लिए धारणीय कृषि एवं पर्यावरण केंद्र के तहत फसलों की जलवायु परिवर्तन से अनुकूलन, कृषि में उपलब्ध तकनीकों तथा हरित चक्रीय अर्थव्यवस्था के सिध्दांतों से प्रेरित उद्योग धंधों को शामिल करना और युवाओं को वैज्ञानिक दृष्टिकोण तथा पेशेवर कार्य प्रणाली से जोड़ने का गहन प्रयास शुरू किया है| इस तरह बेहतरी के प्रयासों के अंतर्गत हम राज्य के सामाजिक, आर्थिक, पर्यावरणीय एवं सांस्कृतिक स्थितियों का अध्ययन कर उसमें वांछित सुधार और लोगों के लिए की बेहतरी के लिए कृत संकल्प हैं |


केंद्र के उद्देश्य:

  1. पर्यावरण एवं कृषि के क्षेत्र में वैज्ञानिक अनुसंधान करना।
  2. सतत और नवोन्मेषी प्रौद्योगिकियों का विकास, विशेष रूप उन पर जो ग्रामीण भारत के विकास पर केंद्रित हों।
  3. समाज के लिए टिकाऊ कृषि, पर्यावरण प्रबंधन और विज्ञान के क्षेत्र में ज्ञान और प्रौद्योगिकियों का संचार और उनके उपयोग की संभावनाएं तलाशना |


संगठनात्मक संरचना:

अनुसंधान एवं विकास केंद्र में मानव संसाधन:

नाम

ओहदा

प्रोफेसर राणा प्रताप सिंह* निदेशक (अवैतनिक)
श्री पवन कुमार उप निदेशक (अवैतनिक)
प्रो. यू.एन.द्विवेदी प्रतिष्ठित वैज्ञानिक (अवैतनिक)
प्रोफेसर आर.एस.द्विवेदी प्रतिष्ठित वैज्ञानिक (अवैतनिक)
प्रोफेसर एच.बी. सिंह प्रतिष्ठित वैज्ञानिक (अवैतनिक)
प्रो.जसवंत सिंह प्रतिष्ठित वैज्ञानिक (अवैतनिक)
डॉ. मधु भारद्वाज प्रतिष्ठित वैज्ञानिक (अवैतनिक)
डॉ. एस. के. प्रभु जी प्रतिष्ठित वैज्ञानिक (अवैतनिक)
प्रोफेसर मालविका श्रीवास्तव प्रतिष्ठित वैज्ञानिक (अवैतनिक)
श्री वी.के. त्रिपाठी वरिष्ठ वैज्ञानिक सह अभियंता (अवैतनिक)

* ३१ जनवरी २०२४, से कार्य संभालने के लिए प्रस्तावित


पूर्वकालिक मानव संसाधन -

नाम

ओहदा

डॉ. मोहम्मद. सुहैल खान Scientist
डॉ. विकास मंडल Research Associate
श्री कृष्णानंद सिंह Administrative Officer
श्री आशीष सिंह Program Manager

गतिविधियाँ:


वर्ष 2023-24 के लिए निम्नलिखित गतिविधियों को मंजूरी दी गई:

  1. सामाजिक-आर्थिक, सांस्कृतिक एवं पारिस्थितिक उत्थान हेतु ग्राम/ग्राम क्लस्टर का चयन एवं प्रासंगिक गतिविधियों की शुरूआत |
  2. किसानों की 100 एकड़ भूमि में लाभकारी मृदा रोगाणुओं के 04 संघ प्रदान करने और इसके क्षेत्र परीक्षण के लिए ‘आईकेयरइंडिया’ के साथ चल रहे सहयोगात्मक कार्य के दूसरे चक्र के लिए माइक्रोबियल इनोकुलेंट्स की तैयारी।
  3. बुनियादी प्रयोगशाला सुविधाओं की स्थापना.
  4. एक या दो जिले में मिट्टी और पानी की विशेषता, और लाभकारी मिट्टी के रोगाणुओं को अलग करना |
  5. अगस्त में डीएवी कॉलेज गोरखपुर के सहयोग से एमओयू एवं एक दिवसीय सेमिनार- नवंबर 2023 |
  6. सी बी गुप्ता कॉलेज ऑफ एग्रीकल्चर के सहयोग से एमओयू और एक दिवसीय सेमिनार प्रौद्योगिकी, लखनऊ फरवरी-मार्च 2024 में|
  7. KVK आज़मगढ़ एवं RASSA नई दिल्ली के सहयोग से प्रगतिशील किसानों के साथ एक दिवसीय संगोष्ठी।
  8. चयनित स्कूल और कॉलेज में विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार के उभरते क्षेत्रों पर व्याख्यान श्रृंखला की शुरुआत करना ।
  9. इसके अतिरिक्त केंद्र के निदेशक फाउंडेशन के अध्यक्ष की अनुमति से किसी भी प्रासंगिक गतिविधि को स्वीकार कर सकते हैं |